दक्षिण अफ्रीका की तरह भारत का संविधान भी बहुत कठिन परिस्थितियों के बीच बना भारत जैसे विशाल और विविधता भरे देश के लिए संविधान बनाना आसान काम नहीं था भारत के लोग तब गुलाम की हैसियत से निकलकर नागरिक की हैसियत पाने जा रहे थे देश ने धर्म के आधार पर बहुत बंटवारे की विभीषिका झेली थी भारत और पाकिस्तान के लोगों के लिए बटवारा भारी बर्बादी और दहलाने वाला अनुभव था विभाजन से जुड़ी हिंसा में सीमा के दोनों तरफ कम से कम दस लाख लोग मारे जा चुके थे एक बड़ी समस्या और भी थी अंग्रेजों ने देसी रियासतों के शासकों को यह आजादी दे दी थी कि वे भारत या पाकिस्तान जिसमें इच्छा हो अपने रियासत का विलय कर दें या स्वतंत्र रहें इन रियासतों का विलय मुश्किल और अनिश्चय भरा काम था जब संविधान लिखा जा रहा था तब देश का भविष्य इतना सुरक्षित और चैन भरा नहीं लगता था जितना आज है संविधान निर्माताओं को देश के वर्तमान और भविष्य की चिंता थी
संविधान निर्माण का रास्ता
सारी मुश्किलों के बावजूद भारतीय संविधान निर्माताओं को एक बड़ा लाभ था दक्षिण अफ्रीका में जिस तरह संविधान निर्माण के दौर में ही सारी बातों पर सहमति बनानी पड़ी वैसी स्थिति उस समय के भारत में नहीं थी भारत में आजादी की लड़ाई के दौरान ही लोकतंत्र समेत अधिकांश बुनियादी बातों पर राष्ट्रीय सहमति बनाने का काम हो चुका था हमारा राष्ट्रीय आंदोलन सिर्फ एक विदेशी सत्ता के खिलाफ संघर्ष भरा नहीं था यह अपने समाज और राजनीति को बदलने और नए सिरे से गढ़ने का आंदोलन भी था आजादी के बाद भारत को किस रास्ते पर चलना चाहिए इसे लेकर आजादी के संघर्ष के दौरान भी तीखे मतभेद थे ऐसे कुछ मतभेद अब तक भी बने हुए हैं पर कुछ बुनियादी विचारों पर लगभग सभी लोगों की सहमति कायम हो चुकी थी
संविधान सभा
भारतीय संविधान सभा के लिए जुलाई 1946 में चुनाव हुए थे संविधान सभा की पहली बैठक दिसंबर 1946 को हुई थी इसके तत्काल बाद देश दो हिस्सों भारत और पाकिस्तान में बट गया संविधान सभा भी दो हिस्सों में बट गई भारत की संविधान सभा और पाकिस्तान की संविधान सभा भारतीय संविधान लिखने वाली सभा में 299 सदस्य थे इसने 26 नवंबर 1949 को अपना काम पूरा कर लिया संविधान 26 जनवरी 1950 को लागू हुआ इसी दिन की याद में हर साल 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस मनाते हैं