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भारत का राष्ट्रपति

भारत का राष्ट्रपति ब्रिटेन की महारानी की तरह होता है जिसका काम आलंकारिक अधिक होता है राष्ट्रपति देश की सभी राजनीतिक संस्थाओं के काम की निगरानी करता है ताकि वे राज्य के उद्देश्य को हासिल करने के लिए मिल-जुलकर काम करें।


राष्ट्रपति का चयन जनता द्वारा प्रत्यक्ष रूप से नहीं किया जाता संसद सदस्य और राज्य की विधानसभाओं के सदस्य उसे चुनते हैं राष्ट्रपति पद के प्रत्याशी को चुनाव जीतने के लिए बहुमत हासिल करना होता है इससे यह तय हो जाता है कि राष्ट्रपति पूरे राष्ट्र का प्रतिनिधित्व करता है लेकिन राष्ट्रपति उस तरह से प्रत्यक्ष जनादेश का दावा नहीं कर सकता जिस तरह से प्रधानमंत्री। इससे यह तय होता है कि राष्ट्रपति कहने मात्र के लिए कार्यपालिका की भूमिका निभाता है


सारी सरकारी गतिविधियां राष्ट्रपति के नाम पर ही होती है सारे कानून और सरकार के प्रमुख नीतिगत फैसले उसी के नाम से जारी होते हैं सभी प्रमुख नियुक्तियां राष्ट्रपति के नाम पर ही होती है वह भारत के मुख्य न्यायाधीश सर्वोच्च न्यायालय और राज्य के उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों राज्यपालों चुनाव आयुक्तों और दूसरे देशों में राजपूतों आदि को नियुक्त करता है सभी अंतरराष्ट्रीय संधियां और समझौते उसी के नाम से होते हैं भारत के रक्षा बलों का सुप्रीम कमांडर राष्ट्रपति होता है।


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