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भारत का चुनाव अभियान

चुनावों का मुख्य उद्देश्य लोगों को अपनी पसंद के प्रतिनिधियों सरकार और नीतियों का चुनाव करने का अवसर देना है इसीलिए कौन प्रतिनिधि बेहतर है कौन पार्टी अच्छी सरकार देगी या अच्छी नीति कौन सी है इस बारे में स्वतंत्र और खुली चर्चा भी बहुत जरूरी है चुनाव अभियान के दौरान ही यही होता है हमारे देश में उम्मीदवारों की अंतिम सूची की घोषणा होने और मतदान की तारीख के बीच आम तौर पर 2 सप्ताह का समय चुनाव प्रचार के लिए दिया जाता है इस अवधि में उम्मीदवार मतदाताओं से संपर्क करते हैं राजनेता चुनावी सभाओं में भाषण देते हैं और राजनीतिक पार्टियां अपने समर्थकों को सक्रिय करती है इस अवधि में अखबार और टीवी चैनलों पर चुनाव से जुड़ी खबरें और बहसें भी होती है पर असल में चुनाव अभियान सिर्फ 2 हफ्ते नहीं चलता राजनीतिक दल चुनाव होने के महीनों पहले से इन की तैयारियां शुरू कर देती है


चुनाव अभियान के दौरान राजनीतिक पार्टियां लोगों का ध्यान कुछ बड़े मुद्दों पर केंद्रित करना चाहती हैं


इंदिरा गांधी के नेतृत्व वाली कांग्रेस पार्टी ने 1971 के लोकसभा चुनाव में गरीबी हटाओ का नारा दिया था पार्टी ने वादा किया कि वह सरकार की सारी नीतियों में बदलाव करके सबसे पहले देश से गरीबी हटाएगी


1977 में हुए लोकसभा चुनाव में जयप्रकाश नारायण के नेतृत्व में जनता पार्टी ने नारा दिया लोकतंत्र बचाओ


पार्टी ने आपातकाल के दौरान हुई ज्यादतियों को समाप्त करने और नागरिक आजादी को बहाल करने का वादा किया


वामपंथी दलों ने 1970 में हुई पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में जमीन जोतने वाले को का नारा दिया था


1983 के आंध्र प्रदेश के विधानसभा चुनाव में तेलुगू देशम पार्टी के नेता एन.टी. रामाराव ने तेलुगु स्वाभिमान का नारा दिया था


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