भारतीय इतिहास का आधुनिक युग अंतिम मुगल सम्राट औरंगजेब की मृत्यु से आरंभ माना जाता है महान मुगल साम्राज्य क्रमशः अनेक स्वायत्तशासी राज्यों में विकसित हो रहा था तथा ब्रिटिश शक्ति का उत्तरोत्तर विकास हो रहा था इस बीच मराठे पतनोन्मुख मुगलों की राजनीतिक सत्ता के दावेदार के रूप में उभरने का प्रयास कर रहे थे किंतु अंग्रेजों के हाथों वें भी पराजित हुए।
18वीं शताब्दी वस्तुतः देश में राजनीतिक उथल-पुथल तथा आर्थिक गतिरोध का युग था समाज में भी अनेक बुराइयां व्याप्त हो गई थी व्यापार एवं राजनीति में अंग्रेज तथा फ्रांसीसी परस्पर कटु प्रतिस्पर्धी थे तीन कर्नाटक के युद्ध में अंग्रेजों की विजय हुई तथा फ्रांसीसियों का भारत में अपने साम्राज्य स्थापित करने का सपना अधूरा रह गया।
सन 1757 से 1857 ई. के मध्य अंग्रेज भारत में अपने साम्राज्य की स्थापना तथा प्रसार करने में व्यस्त रहें बंगाल तथा अवध पर वे अपनी सत्ता स्थापित करने में सफल रहे उन्होंने मराठों को पराजित किया तथा वर्मा एवं सिंध पर अधिकार कर लिया सिक्ख भी पराजित हो गए।
सन 1905 ईस्वी में राष्ट्रीय स्वधीनता के लिए संघर्ष प्रारंभ हुआ सन 1919 ईस्वी से 1934 ईस्वी के मध्य की अवधि के जन आंदोलन को ‘गांधी युग’ कहा जाता है गांधी जी ने ब्रिटिश शासन के विरुद्ध अहिंसात्मक राष्ट्रीय आंदोलन का नेतृत्व किया कुछ क्रांतिकारियों ने भी स्वतंत्रता के संघर्ष में महत्वपूर्ण योगदान दिया।